जय सविता जय जयति दिवाकर!, सहस्त्रांशु! सप्ताश्व तिमिरहर॥ भानु! पतंग! मरीची! भास्कर!...
किया तपहिं भागीरथ भारी। पुरब प्रतिज्ञा तासु पुरारी॥
लोकनाथं, शोक – शूल – निर्मूलिनं, शूलिनं मोह – तम – भूरि – भानुं ।
शिव चालीसा - जय गिरिजा पति दीन दयाला । सदा करत सन्तन प्रतिपाला.
बृहस्पतिदेव की कथा
दुष्ट सकल नित मोहि सतावै । भ्रमत रहे मोहि चैन न आवै॥
ॠनियां जो कोई हो अधिकारी। पाठ करे सो पावन हारी॥
दानिन महँ तुम सम कोउ नाहीं। सेवक स्तुति करत सदाहीं॥
आज के युग में शिव चालीसा पाठ व्यक्ति के जीवन के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। शिव चालीसा लिरिक्स की सरल भाषा के मध्यम भगवान शिव को आसानी से प्रसन्न किया जा सकता है।
सहस कमल में हो रहे धारी। कीन्ह परीक्षा तबहिं Shiv chaisa पुरारी॥
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त्रयोदशी व्रत करै हमेशा। ताके तन नहीं रहै कलेशा॥
सहस कमल में हो रहे धारी। कीन्ह परीक्षा तबहिं पुरारी॥
When the gods phone out to him in distress, Lord Shiva instantly removes their sorrows. In the good turmoil attributable to Tarakasura, Many of the gods turned for you for enable.